Hindi · Poetry

मेरे बाबा का आँगन

बाबा तेरे घर के सूने आँगन में मैं खुद को ढूंढती हूँ,तेरी गलियों और दीवारों में मैं खुद को ढूंढती हूँ … वो लकड़ी का दरवाज़ा जो सीढ़ी के नीचे था,वो छोटा सा एक कमरा जो आँगन के पीछे थाउस ईंटों से बने आँगन में एक चंपा का पेड़ था…और, वहीँ मेरे बचपन का एक… Continue reading मेरे बाबा का आँगन

Hindi · Loneliness, family, depression · Poetry

रास्ते

कई साल पहले जवान दो दिल मिले थे रास्तों पे किस्से कहानियों के मंज़र बढ़ चले थे रास्तों पे रास्तों पे टहलते, हम बेखबर होश खोये और बातों के सिलसिले बढ़ चले उन रास्तों पे.... नज़रों से बातें हम करने जो लगे थे दिलों में कुछ अरमान फिर जागने से लगे थे माना की आज… Continue reading रास्ते

Hindi

तू है…और है भी नहीं !

नम हुईं ये पलकें जब , लफ़्ज़ों की यूँ आंधी चली, तू है …और है भी नहीं! तेरा साया है दीवारों पे... मगर, सूनापन है तेरे साथ में भी, तू उठ रहा …कभी बैठ रहा …कदमों से ये घर नाप रहा, तेरे क़दमों की आहट तो है पर मेरे हाथों में वो हाथ नहीं मैं… Continue reading तू है…और है भी नहीं !